मौनी अमावस्या या सोमवती अमावस्या के दिन शीघ फल प्राप्त हेतु किये जाने वाले कुछ उपाय

जब सोमवार को अमावस्या होती है तो उसे सोमवती अमावस्या कहा जाता है। ऐसी अमावस्या का शास्त्रों में काफी अधिक महत्व बताया गया है। इस दिन किये जाने वाले उपायों का शीघ्र फल प्राप्त होता हैं। यहां हम आपको सोमवती अमावस्या के दिन किए जाने वाले कुछ उपाय बताने जा रहे हैं। इन्हें करने से गरीबी और दरिद्रता दूर होती है साथ ही सुख व समृद्धि का आगमन होता है।
- सोमवती अमावस्या के दिन सूर्य नारायण को अर्घ्य देने से गरीबी और दरिद्रता दूर होती है, यदि आपका चंद्र कमजोर है तो गाय को दही और चावल खिलाएं इससे मानसिक शांति प्राप्त होने के साथ ही एकाग्रता भी बढ़ेगी।
- इस दिन दान का बहोत महत्त्व बताया गया है , इस दिन किसी को दान या भूखे को भोजन कराने से विष्णुदेव प्रसन्न होते है, और ऐसा भी माना जाता है की जो व्यक्ति धोबी / धोबन को भोजन कराकर अपनी सामर्थ्य अनुसार दान करता है उसकी सभी मनोरथ पूर्ण होते है।
- इस दिन पवित्र नदी के तटों पर मौन रख के स्नान करना चाहिए जिससे व्यक्ति को ब्रम्हमुहूर्त का फल प्राप्त हाेता है और सूर्यदेव के साथ ही भगवान विष्णु और शिव की विशेष कृपा प्राप्त हाेती है। इस दिन भगवन विष्णु के साथ भगवान शिव के पूजन का विशेष महत्व है।
- इस दिन अपने पितरों को प्रसंन्न करने का भी विशेष महत्व है, किसी तीर्थस्थल पर जाकर पितरों को प्रसन्न करने के लिए कंडे में गुड़, घी का धूप देकर पितरों का पूजा किया जाता है। पितृ दोष के निवारण हेतु सोमवती अमावस्या का दिन उर्पयुक्त है। सूर्य को अघ्र्य देते समय पितृ तर्पण के लिए “पितृभ्य नमः ” मंत्र का जप करना चाहिए। इससे पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता और कोर्ट कचहरी से संबंधित विवादों का निपटारा होता है। घरेलू झगड़ों क्लेश का भी समाधान आसानी से हाेता है। सोमवती अमावस्या के दिन पितरों के निमित्त दान पुण्य करने से, ब्राहमण को भोजन कराने से पितर प्रसन्न होते हैं और जीवन में खुशहाली आती है।
- यदि व्यवसाय में परेशानियां हो रही हो तो सोमवती अमावस्या के दिन पीपल वृक्ष के नीचे तिल के तेल का दिया जलाकर ” ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः मंत्र ” का जाप करे। ऐसा करने से उनके व्यापार की बाधाएं दूर होने लगेगी।
- आर्थिक संकट से छुटकारा पाने के लिए सोमवती अमावस्या के दिन 108 बार तुलसी के पौधे की श्री हरि-श्री हरि अथवा ” ॐ नमो नारयण ” का जाप करते हुए परिक्रमा करनी चाहिए।