
क्यों मनाई जाती है देव उठनी एकादशी? कैसे हुई थी इसकी शुरुआत आइए जाने इसकी पौराणिक कथा
कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवोत्थान एकादशी, प्रबोधिनी एकादशी या देव उठनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। देवशयनी एकादशी से निद्रा में गए भगवान विष्णु चार महीने बाद देवउठनी एकादशी पर अपनी निद्रा से जागते हैं। इस दिन तुलसी विवाह भी किया जाता है इसके साथ ही देवशयनी एकादशी से बंद हुए शुभ कार्य शुरू हो जाते हैं।
एक पौराणिक कथा के अनुसार भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष एकादशी को भगवान विष्णु ने दैत्य शंखासुर को युद्ध में मारा गिरया था इस राक्षस को मारने के लिए भगवान विष्णु का दैत्य शंखासुर से लंबे समय तक युद्ध चलता रहा। युद्ध समाप्त होने के बाद भगवान विष्णु थक कर क्षीरसागर में जाकर सो गए जीस दिन वो सोये उसे देवशयनी एकादशी के नाम से जाना जाता है और सीधे कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी को जागे जिसे देवोत्थान एकादशी, प्रबोधिनी एकादशी या देव उठनी एकादशी के नाम से जाना जाता है।