फ़क़ीर

फ़क़ीर एक अरबी शब्द है जो की अरबी के ही एक शब्द फक्र से आया है जिसका अर्थ गरीबी होता है।
फ़क़ीर शब्द का उपयोग ऐसे व्यक्ति के लिए होता है जो की अपने सुख संपत्ती और घर इत्यादि को छोड़ कर गरीबी में रहने की प्रण कर लेता है और केवल धर्म के रास्ते पर ही चलता है।
फ़क़ीर शब्द का उपयोग मुस्लिम धर्म के सूफी व्यक्ति के साथ साथ हिन्दू और अन्य धर्म के साधु, सन्यासी, योगी, स्वामी इत्यादि के लिए भी किया जाता है। फ़क़ीर खास कर मध्य पूर्व और दक्षिण एशिया में खास कर पाए जाते हैं। जो फ़क़ीर होते हैं उन्हें किसी भी प्रकार के दुनियावी वस्तु की चाहत नही होती बल्कि वह केवल अध्यात्म की तलाश में रहता है।
भारत में फ़क़ीरों का इतिहास मुग़ल साशन काल के आसपास का है। इस दौरान ये भारतीय उप महाद्वीप तक पाए जाते थे। उत्तर भारत के इलाकों में भी फकीरों की अच्छी संख्या है जो की अलग अलग संप्रदाय से संबन्ध रखते है। वास्तविक फ़क़ीर जो की दुनिया से दूर केवल धर्म और भगवान में लीन होते हैं, इनमें से कुछ के पास आसाधारण शक्ति भी होती है और इन्हें सम्मान की नज़रो से देखा जाता है।